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Nomophobia: आज के दौर में स्मार्टफोन हर किसी की ऐसी जरूरत बन गई है कि उससे दूर होने की सोचते ही घबराहट होने लगती है. सुबह आंख खुलने के साथ रात को जब तक नींद नहीं आती है तब तक मोबाइल फोन का इस्तेमाल जारी रहता है. यही वजह है स्मार्टफोन के इस्तेमाल के चलते लोगों को कई बीमारी का भी सामना करना पड़ रहा है.किसी की आंखों की रोशनी जा रही है, तो किसी को रीड की हड्डी में परेशानी हो रही है. इसके अलावा और भी कई सारी बीमारी हो रही है. वहीं स्मार्टफोन की लत के चलते लोग नोमोफोबिया नाम की बीमारी से भी पीड़ित हो रहे हैं. रिपोर्ट बताती है कि भारत में 4 में से 3 लोग कथित तौर पर नोमोफोबिया से पीड़ित हैं.ये कैसे आपको प्रभावित करता है.ये कैसी बीमारी है. सब कुछ जानेंगे आगे की आर्टिकल में.
क्या है नोमोफोबिया?
दरअसल नोमोफोबिया एक ऐसी बीमारी है जिसमें व्यक्ति को उसके स्मार्टफोन से अलग होने का डर हर वक्त सताता रहता है. 10 में से 9 यूजर ऐसे हैं जो फोन की बैटरी 50 फ़ीसदी से कम होने पर चिंतित होने लगते हैं. नोमोफोबिया का असल मतलब हे नो मोबाइल फोन का फोबिया… यानी कि आपके मोबाइल फोन से अलग होने का डर. ये स्मार्टफोन को इस्तेमाल ना कर पाने का डर है. ओप्पो द्वारा किए गए एक सर्वे में कहा गया है कि मोबाइल फोन खोने का डर लोगों में तेजी से बढ़ रहा है. इसी डर को नोमोफोबिया कहा जाता है. इस स्थिति में व्यक्ति को इस बात का भी डर लगा रहता है कि कहीं उसके फोन की बैटरी ना खत्म हो जाए. कहीं उसका फोन कहीं खो ना जाए. सर्वे में कहा गया है कि दुनिया भर के लगभग 84 फ़ीसदी लोगों में नोमोफोबिया की समस्या है.
यूजर्स को सताता है ये डर
मार्केट रिसर्च फर्म काउंटरप्वाइंट की रिपोर्ट के मुताबिक बैटरी और चार्जिंग की समस्या नोमोफोबिया के टॉप कारणों में से एक है. 65 फ़ीसदी यूजर्स ने दावा किया है कि बैटरी खत्म होने की वजह से उन्हें भावनात्मक परेशानी का सामना करना पड़ता है. 28 फ़ीसदी यूजर ने कहा है कि इस बैटरी लिमिट से उनमें चिंता पैदा हुई है. बैटरी खत्म होने के कारण यूजर को जिस प्रकार की असुविधा का सामना करना पड़ता है उनमें चिंता, खोने का डर और घबराहट, पसीना आना, गुस्सा आना शामिल है.
87 फ़ीसदी लोगों ने कहा कि बैटरी चार्ज करने के दौरान अपने स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं. और 92 फ़ीसदी बैटरी लाइफ बढ़ाने के लिए अपने डिवाइस पर पावर सेविंग मोड का इस्तेमाल करते हैं. इसके अलावा कुछ ऐसे उपयोगकर्ता हैं जो दिन में दो बार स्मार्टफोन चार्ज करते हैं. लोगों ने यह भी माना कि स्मार्टफोन वो पहली चीज है जिसका वे दिन शुरू होने पर उपयोग करते हैं और आखिरी चीज जिसका वह दिन समाप्त होने पर उपयोग करते हैं.
ज्यादा स्मार्टफोन इस्तेमाल करने के नुकसान
- कंप्यूटर विजन सिंड्रोम
- रीढ़ की हड्डी पर गंभीर असर
- स्किन से जुड़ी समस्याएं
- नींद से जुड़ी समस्याएं
- मानसिक तनाव का बढ़ना
- आत्मविश्वास की कमी
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